स्वयंभू गुलाम क्यों तिलमिला रहे हैं ग्रेक चैपल पर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच ग्रेक चैपल के बयान पर हाय तौबा मचाने वाले पहले अपनी गिरेवान में झांके। ग्रेक चैपल ने सही कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों को सर झुका कर रहना सिखाया। जिन लोगों को ग्रेक चैपल के बयान पर भारतीय अस्मिता पर प्रहार नजर आता है वे बतायें कि क्यों आज तथाकथित आजादी के 65 साल बाद भी न तो अपना नाम भारत ही देष को दे पाये, व नहीं अपनी भारतीय भाशा तथा नहीं भारतीय संस्कृति कमो ही अंगीकार ही कर सके। केवल गुलामी के बदनुमा फिरंगी नाम इंडिया, फिरंगियों की भाशा अंग्रेजी व उनकी फिरंगी संस्कृति को ही आज तक अपना पाये। यही नहीं फिरंगी गुलामी को सरमाथे पर रखते हुए आज तक भी हम भारत को गुलामी दासता के बदनुमा प्रतीक महारानी ब्रिटेन की सरपरस्थी में बने अंग्रेजी सम्राज्ञी के गुलाम देषों के संगठन कोमनवेल्थ यानी राश्ट्रमण्डल का सदस्य बन कर देष की आजादी के लिए षहादत देने वाले षहीदों की षहादत का घोर अपमान करने की धृश्ठता की है। देष में षासन चाहे गांधी के नाम का जाप करने वाली कांग्रेस पार्टी का रहा हो या भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाले संघ पोशित भाजपा का रहा हो या जय प्रकाष नारायण या अन्य किसी दलों का षासन रहा हो परन्तु देष से फिरंगी गुलामी का कलंक मिटाने के लिए किसी ने एक पल भी कदम नहीं बढ़ाया। देष की संस्कृति के प्राण, गौ गंगा व गीता का जितना अपमान आजादी के बाद हुआ उतना मुगलों व फिरंगियों के षासन के दौरान भी नहीं हुआ। ऐसे गुलामी में आत्ममुग्ध देष को देख कर अगर ग्रेक चैपल ने इस गुलामी को ही भारतीय संस्कृति समझने की भूल कर ली हो तो इसमें उनका दोश नहीं अपितु देष के हुक्मरान व देष के बुद्वजीवियों का है। संसार में कोई स्वाभिमानी विकसित देष जर्मनी, रूस, चीन, जापान, फ्रांस, इटली, इस्राइल सहित कोई ऐसा देष नहीं है जो संसार में अपनी भाशा व संस्कृति का भारत की तरह इस तरह से अपमान व उपेक्षा करता हो। इस देष में गुलामी को अंगीकार करना ही विकास समझा जाता हो, उस देष के गुलामी में आत्ममुग्ध समाज को अगर ग्रेक चैपल ने जरा आइना दिखाने का साहस किया तो इसमें तिलमिलाने के बजाय अगर भारतीय अपना आत्म चिंतन करते तो देष व संस्कृति को मजबूती मिलती ।
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all data is based on oxford dictionary and most popular american dictionary marium webster Arab Spring (अरब स्प्रिंग)- यानी बहार-ए-अरब या अरब बसंत, साल 2011 के प्रारंभ में ट्यूनीशिया लोगों के सब्र का बांध टूट गया क्योंकि एक फल विक्रेता मोहम्मद बुअज़ीज़ी ने महंगाई से तंग आकर आत्मदाह (17 दिंसबर) कर लिया. एक अनजान फल विक्रेता के इस क़दम ने उनके देश ट्यूनीशिया के अलावा सारे अरब जगत में एक क्रांति की शुरूआत कर दी जिसे पहले जैसमिन क्रांति का नाम दिया गया फिर अरब स्प्रिंग का. यहां ये बात बड़ी रोचक है कि अरब जगत में यमन से लेकर मोरक्को तक बसंत मौसम नहीं पाया जाता है शायद इसी कारण जब वहाँ लोकतंत्र की बयार चली तो अरब जगत की क्रांति को अरब स्प्रिंग के नाम से जाना गया. यहां ये बात भी याद रखनी चाहिए कि इस क्रांति के कारण अरब जगत में दशकों की यथास्थिति के बाद परिवर्तन की बयार नज़र आती है. बुअज़ीज़ी के आत्मदाह के एक साल के भीतर तीन अरब देशों के राष्ट्राध्यक्ष को सत्ता छोड़ना पड़ा कुछ अब भी अपनी सत्ता बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. Tebow (टेबो)- यानी अपने घुटनों पर खड़े होकर प्रार्थना करना, यह शब्द Tim Tebow (टिम टेबो) के नाम पर बना है जो डेनवर ब्रॉंको के क्वार्टर बैक थे और खेल के बीच ही में प्रार्थना करने लगते थे. आजकल हम इंटरनेट पर तरह तरह की अजीबो ग़रीब तस्वीरें देखते हैं जो लोग कहीं भी बैठ कर खींच लेते हैं, इस काम को भी टेबो कहते हैं. bunga bunga (बुंगा बुंगा) का प्रयोग इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी की ओर से आयोजित की जाने वाली पार्टी के बारे में किया जाता है जिस में आयोजक यौन संबंध बनाने के लिए बहुत सी सुंदरियों को आमंत्रित करे. बहुत से इटली के नागरिकों को इससे काफ़ी शर्मिंदगी भी हुई है. अरब जगत में आई जनतांत्रिक लहर को अरब स्प्रिंग का नाम दिया गया Sodcasting (सोडोकास्टिंग)- यह पॉडकॉस्ट के बाद आने वाला शब्द है. आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने मोबाईल फ़ोन का स्पीकर ऑन करके ज़ोर ज़ोर से संगीत सुनते हैं इसी तरह गाने या संगीत सुनने को सोडोकास्टिंग कहा जाता है. Bromance (ब्रोमांस) पॉप कल्चर का शब्द है जिसका अर्थ होता है दो पुरुष के बीच गहरी दोस्ती लेकिन जिसमें यौन संबंध न हो. यह bro और romance का मिला हुआ रूप है और पहली बार 2004 में सामने आया था. इसी प्रकार एक शब्द है cougar (कूगर) जिसका अर्थ है ऐसी अधेड़ महिला जो अपनी उम्र से छोटी उम्र के नौजवान से रोमांटिक संबंध बनाना चाहती है. इसका प्रचलन कॉर्टनी कोक्स की लोकप्रिय टीवी सीरियल कूगर टाउन से काफ़ी बढ़ गया. वैसे कूगर पहाड़ी चीते, शेर, बाघ को भी कहते हैं जो अमरीका में पाया जाता था लेकिन अब लुप्त हो रहा है. Boomerang child (बूमरैंग चाइल्ड) में बूमरैंग का अर्थ तो आप जानते ही हैं जो ख़ुद पर पलट कर वापस आए. तो इससे आप समझ सकते हैं कि बूमरैंग चाइल्ड क्या हो सकता है. हां आप ठीक समझे लेकिन इसमें ज़रा सा भेद है. यह उस नवयुवक के लिए इस्तेमाल होता है जो आर्थिक परेशानियों के कारण अपने परिवार के पास वापस रहने आ जाए. बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी ने इसे जन्म दिया है. प्रयोग- I’m not a boomerang child; I’m still on my own. हवाई जहाज़ में साथ में आराम करने का नया तरीक़ा Mumpreneur (ममप्रेनियर), उस महिला के लिए प्रयोग करते हैं जो अपने बच्चों की देख-भाल भी करे और अपना कारोबार भी देखे. ये शब्द भी आर्थिक कठिनाईयों के नतीजे में काफ़ी प्रचलित हुआ जब मां को बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करके फिर दफ़्तर के लिए भागना पड़ता है और इसमें मध्यमवर्ग के लोग शामिल है. Cuddle class (कडल क्लास)- हमारे राजनेता शशि थरूर ने एक बार कैटल क्लास की बात कही थी तो बवाल हो गया था लेकिन कडल क्लास की बात ही कुछ और है. यह हवाई सफ़र करने वालों की नई शब्दावली है जिसमें लोग दो की जगह तीन टिकट ख़रीदते हैं ताकि वो दोनों साथ में आराम कर सकें. Squeezed middle (स्क्वीज़्ड मिडिल)- यानी वह मध्यमवर्ग जो आर्थिक रूप से काफ़ी दबाव में हो. एक टीवी प्रोग्राम के दौरान ये बात आई थी कि ब्रिटेन की लेबर पार्टी का स्क्वीज़्ड मिडिल से क्या तात्पर्य है तो मिलबैंड ने जो जवाब दिया उससे कोई सहमत हो या न हो लेकिन ऑक्सफ़र्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने उसका अर्थ यह बताया- समाज का वह हिस्सा जो महंगाई से प्रभावित हों, वेतन में कमी या नौकरी जाने से परेशान हों और उनमें आम तौर से मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग आते हैं.
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The Supreme Court has broadened the ambit of right of life to bring in a citizen’s right to sleep peacefully under it. A citizen has a right to sound sleep because it is fundamental to life, the Supreme Court said on Thursday while ruling that the police action on a sleeping crowd at Baba Ramdev’s rally at Ramlila Maidan amounted to violation of their crucial • • ab jam ke soiye……………jo sovat hai so pawat hai • •
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my home city ukhimath . night view..............
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"ए" से आदर्श सोसायटी घोटाला, "बी" से बोफोर्स घोटाला, "सी" से चारा घोटाला, "डी" से डी डी ए/ दिनेश डालमिया स्टॉक घोटाला, "इ" से एनरोन घोटाला, "ऍफ़" से फर्जी पासपोर्ट घोटाला, "ग(जी)" से गुलाबी चना घोटाला, "एच" से हथियार/ हवाला/हसन अली खान टेक्स घोटाला. बस.. बस... नहीं बोलिये भाईसाहब. आज तो मै पूरी ए, बी,सी, डी.. सुनाके ही रहूँगा. ठीक है... "आई" से आई पी एल घोटाला, "जे" से जगुआर/ जीप घोटाला, "के" से कॉमन वेअल्थ गेम्स /केतन पारीख सिक्यूरिटी घोटाला , "एल" से लोटरी / एल आई सी घोटाला, "एम्" से मनरेगा/ मधु कोड़ा माइन घोटाला, "एन" से नागरवाला घोटाला, "ओ" से आयल/ ओरिसा माइन घोटाला, "पी" से पनडुब्बी/ पंजाब सिटी सेण्टर घोटाला, "क्यू" से कोटा परमिट घोटाला, "आर" से राशन/ राईस एक्सपोर्ट घोटाला, "एस" सत्यम/शेयर/ सागौन प्लान्टेशन घोटाला, "टी" से तेलगी/टेलिकॉम/ टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, "यू" से यूरिया/ यू टी आए.घोटाला, "वी" से वीसा (कबूतरबाज़ी) घोटाला, "डब्लू" वेपन/ व्हीट घोटाला, "एक्स " एक्सेस बैंक घोटाला, "वाय" से यार्न घोटाला, "जेड" से ज़मीन घोटाला...!!
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" The ink of the scholar is more sacred than the blood of the martyr"

jaipur literature festival aj kal badi charcha main hai .ye alag bat hai ki ache karano se nahi bure karano se . Ap bilkul sahi samjhe. bat hai satanic versus ke mashur lekhak ke bharat ane par huye vivad ki . Ye sara vivad suru hua darul-ul-ulum ke mukhiya Maulana abdul kashid numani ke ek tweet se jisme unhone Rushdi ke bharat ane ka virodh kiya tha . Ye wahi Darul-ul-Ulum hai jishne Gulam md bashtanvi ko Narendra Modi ki tarif karne ke akshamya apradh main mukhiya pad se nikal diya tha . . Ab jab ki bat nikal hi chuki hai to dur talk bhi jayegi hi. Ab Rushdi sahab ne bhi mana kar hi diya hai ki ve suraksha karano se bharat nahin ayenge . Ashok Gahlot to suraksha dene main asamarthata to pahle hi jata chuke hain. Yahan ye yaksh prasn khada ho gaya hai ki kya bharat apne ek nagrik ko apne hi desh main suraksha nahin de sakta . Chaliye kuch pal ke liye man bhi liya jay yah sawa soo koti ka desh suraksha ki drishti se majbut nahi hai . Par us loktantra ka kya jis par bharat hami bharta hai . Loktantra ka mukhya niya "freedom of speech" ka khule am cheer haran ho raha hai . Lekhan hamesha se freedom of speech ka bada madhyam raha hai aur uska kabhi purva kal main virodh bhi nahi hua hai phir ab hi kyön. Aisa nahi hai ki Rushdi shahab pahli bar bharat aa rahe hain wo bharat ate rahte hain aur isse pahle wo 2007 main bhi is samaroh main bhag le chuke hain.phir ab hi vivad kyon? Darsal is bat ka seedhasa jawab hai ki is samay up main election hone wale hain. Aur ye pura preplann game kishi ek vishesh rajnitik dal ko labh pahuchane ke liye play out kiya gaya . Jaipur ke congress M.P ne to seedhi dhamki de dali thi ki wo kuch bhi ho jay wo Rushdi ko jaipur ane nahin denge. Rajashtan congress ruled state hai aur center main bhi congress ki government hai to kya ye ek vyakti ko suraksha nahi de sakte the. Par vote bank ki rajniti main jo is govt ne bharatiy loktantra ki jo jag hashayi ki hai wo vakayi sharmnak hai. EXPECT ASHOK GAHLOT SINGING केसरिया सलमान, ना पधारो म्हारे देश! ना जीवो हो, ना जीवण दो, कैसो जी को क्लेश! रे ना पधारो म्हारे देश!
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